Minimum Basic Salary: ईपीएफओ में बदलाव, कर्मचारियों की बढ़ती उम्मीदें

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

न्यूनतम सैलरी सीमा ₹25,000: EPFO News: केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान के लिए न्यूनतम मूल वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा है। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को तैयार कर लिया है और उम्मीद है कि 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में इसका ऐलान किया जा सकता है।

10 साल बाद नए नियम

कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा दायरे को बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने 10 साल बाद नियमों में संशोधन की योजना बनाई है। पिछली बार 01 सितंबर 2014 को वेतन सीमा 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये की गई थी। इसके विपरीत, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) में वेतन सीमा ₹21,000 है और अब सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि दोनों योजनाओं के तहत वेतन सीमा समान हो।

मौजूदा योगदान प्रणाली

मौजूदा नियमों के तहत कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ईपीएफ खाते में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और प्रतिधारण भत्ता (अगर कोई हो) का 12-12 फीसद का समान योगदान करते हैं। कर्मचारी का पूरा योगदान भविष्य निधि खाते में जमा होता है जबकि नियोक्ता के योगदान का 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में और शेष 3.67 फीसदी पीएफ खाते में जाता है।

बढ़ी हुई सैलरी सीमा का प्रभाव

वर्तमान में बेसिक पे लिमिट 15,000 रुपये होने पर कर्मचारी और नियोक्ता का प्रत्येक योगदान 1800 रुपये है। नियोक्ता के योगदान में से 1,250 रुपये ईपीएस में और 750 रुपये पीएफ खाते में जाते हैं। अगर बेसिक सैलरी सीमा 25,000 रुपये हो जाती है तो प्रत्येक का योगदान 3000 रुपये हो जाएगा। इसमें से नियोक्ता के योगदान का 2082.5 रुपये पेंशन फंड में और 917.5 रुपये पीएफ खाते में जाएंगे।

सामाजिक सुरक्षा के बढ़ते कदम

इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा दायरे को बढ़ाना है। बेसिक सैलरी सीमा बढ़ने से न केवल योगदान में वृद्धि होगी बल्कि इससे कर्मचारियों को अधिक पेंशन और भविष्य निधि का लाभ भी मिलेगा।

आर्थिक संतुलन

सरकार का यह कदम आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे न केवल कर्मचारियों को लाभ होगा बल्कि नियोक्ताओं को भी अपने कर्मचारियों के भविष्य के प्रति अधिक जिम्मेदार बनने की प्रेरणा मिलेगी।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

निष्कर्ष

केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। अब देखना यह है कि बजट में इसे कितनी प्राथमिकता दी जाती है और इसका क्रियान्वयन कैसे होता है।

Leave a Comment